ओशो का मृत्यु दिवस
आज यानि १९ जनवरी मेरे गुरु ओशो का मृत्यु दिवस है। आम तौर पर हम लोगों का जन्म दिवस ही मनाते हैं। मृत्यु को इतना नकारात्मक माना जाता है कि उसका उत्सव मनाना तो दूर, हम उसके बारे में सोचना, बात करना भी नहीं चाहते। लेकिन गुरुदेव से मैंने सीखा है कि मृत्यु नकारात्मक नहीं बल्कि जीवन का चरम बिंदु है। हमारी मृत्यु पीड़ादायक होती है या आनंदपूर्ण ये इस पर निर्भर करता है कि हमारा जीवन कैसा था: यदि जीवन पीड़ा से भरा था, तो मृत्यु भी पीड़ा से भरी होगी; यदि जीवन भय से भरा था, तो मृत्यु भी भयपूर्ण होगी। और यदि जीवन आनंद से भरा था, तो मृत्यु भी आनंदपूर्ण होगी। और ओशो का जीवन परम आनंद से सराबोर था, इसीलिए उनका मृत्यु दिवस भी एक उत्सव के रूप में मनाया जाना चाहिए।